Premium Only Content

Pravachan Shree Vishwamitra ji Maharaj
परम पूज्य डॉक्टर श्री विश्वामित्र जी महाराज जी के मुखारविंद से
((1020))
*श्री भक्ति प्रकाश भाग ५३७(537)*
*परमात्मा का स्मरण-सिमरन*
*भाग २*
कितना आसान है परमात्मा का सिमरन । यह स्मरण नित्य बना रहना चाहिए । व्यक्ति निश्चिंत हो जाता है, निर्भय हो जाता है, हर वक्त आनंदित, परमानंदित अवस्था में वह रहता है ।
पिछले रविवार को आप जी ने देखा था एक बुजुर्ग ने क्या कहा है, जो सदा मुस्कुराता रहता, सदा हंसता रहता था । जिंदगी में मुसीबतें कोई कम नहीं आईं । बचपन में ही माता पिता की death हो गई थी । एक अनाथ की तरह पला । युवक हुआ दोनों टांगे कट गई । जिंदगी wheelchair पर बिताई है । लेकिन कभी किसी ने उनके चेहरे को उदास नहीं देखा । हर वक्त मुस्कुराता चेहरा उनका रहता था प्रसन्न । इतना ही कहा करते - परमेश्वर को यह मत बताओ आप की मुसीबतें कितनी बड़ी है, मुसीबतों को यह बताओ कि मेरे पास, मेरा राम कितना बड़ा है । मुसीबत को बताओ तू कितनी भी बड़ी क्यों ना हो, मेरे राम से तो बड़ी नहीं हो सकती । उसका अनुग्रह मुझे सदा प्राप्त रहा, उसकी कृपा मुझे सदा प्राप्त रही । मुझे जिंदगी में कभी पता ही नहीं लगा कि विपत्ति कब आई और चली गई ।
“गम राह में खड़े थे साथ हो लिए,
जब कुछ बिगाड़ ना सके तो वापिस हो लिए”
ऐसी हालत सिमरन करने वाले की
“गम राह में खड़े थे साथ हो लिए,
जब कुछ बिगाड़ ना सके तो वापिस हो लिए”
उसे पता ही नहीं लगता सब कुछ क्या हो रहा है । मैं परमात्मा की कृपा को याद कर करके तो सदा मुस्कुराता रहता हूं । मुझे विपत्ति, आपत्ती, संकट, दुख, इत्यादि मानो मैंने कभी इन पर विचार ही नहीं किया । कभी मैं इनके साथ चिपका ही नहीं । मुझे कभी इन बातों का कभी बोध ही नहीं हुआ । मैं उस परमात्मा की, उस देवाधिदेव की कृपा को, अनुकंपा को याद कर करके, इतना प्रसन्न, इतना हर्षित होता रहता हूं, कि मुझे यह सब कुछ देखने की जरूरत नहीं महसूस होती ।
प्रपन्न रहो, यह बुजुर्ग एक शब्द प्रयोग करते हैं । अतएव परमात्मा के प्रपन्न रहो । बहुत सुंदर शब्द है साधक जनो हम बहुत पढ़े-लिखे लोग नहीं हैं । हम प्रपन्नता से क्या समझते हैं ? परमेश्वर से जुड़े रहो, सिमरन के माध्यम से, परमेश्वर की चरण शरण में रहो यह प्रपन्न है । देवी आप संपन्न हो या विपन्न । जब तक प्रपन्न नहीं होओगे तब तक परमात्मा की कृपा के पात्र नहीं बनोगे । Shastra is so clear about these things.
शांति उन्हीं के पास है, उन्हीं से जुड़ने से मिलेगी । आप संपन्न हो, विपन्न हो, परमात्मा की कृपा के पात्र तभी बनोगे जब प्रपन्न होओगे ।
गीता जी के ज्ञान का शुभारंभ तभी होता है, जब अर्जुन भगवान श्री के प्रपन्न होता है । गुरु महाराज की चरण शरण में जाता है । गुरु महाराज -
हे अविनाशिन ! मैं तेरी चरण शरण में हूं । मुझे अपना शिष्य स्वीकार करो । तब भगवान श्रीकृष्ण अपना मुख खोलते हैं । मानो एक चैन खुल गई । अब उसमें जो कुछ भी उनके पास है, वह प्रवाहित होता रहेगा । बहुत कुछ करने की जरूरत नहीं ।
अभी आप जी से अर्ज की जो परमात्मा की चरण शरण में रहते हैं, जिन्हें यह विश्वास है, मानो परमात्मा को विश्वास यह दिलाना होगा कि मैं आपकी चरण शरण में हूं । मुझे अपने किसी बल पर भरोसा नहीं है । जहां तक आपका अपना बल किसी भी प्रकार का, देवी बना रहेगा, परमात्मा के हाथ आपकी रक्षा के लिए नहीं उठेंगे । बहुत पक्के हैं । परमात्मा, दयालु है, कृपालु है, करुणावान है, लेकिन बहुत पक्के हैं । मत भूलिएगा इस बात को । जब तक लेश मात्र भी आपके अंदर यह रहेगा, मेरा बल है बाकी, तब तक परमात्मा के हाथ आपकी रक्षा के लिए उठेंगे नहीं ।
हां, निस्साधन हो जाओ, निस्सहाय हो जाओ, निर्बल हो जाओ, निर्धन हो जाओ, यह आश्वासन परमात्मा को दिलाओ की जो मैं कह रहा हूं, वह मैं हूं । यदि परमेश्वर इस बात पर आश्वस्त हो जाते हैं, तो फिर आपको कुछ करना शेष नहीं रहता । सब कुछ राम अपने आप करते हैं ।
एक बकरी की याद आती है । आज जंगल में जाकर रास्ता भूल गई है । मानो सभी की सभी बकरियां, भेड़े, जितनी भी थी, वह कहीं आगे निकल गई । पत्ते खाती रही, अकेली रह गई । संध्या का समय हो गया
है । सायंकाल, मानो अंधेरा होने ही वाला
है । नदी पड़ी रास्ते में । कहां जाऊं अब, मुझे पता नहीं । शेष बकरियां किस घाट से पार गई है, मुझे कोई बोध नहीं है । मैं किस घाट से जाऊं, मुझे कोई पता नहीं है । खोज रही है । परमेश्वर की कृपा एक शेर का पंजा दिखाई दे गया । उसी पर बैठ गई । शेर के पंजे पर यह बकरी बैठ गई है । सारी रात बिता दी है । सुबह हो गई । नदी पार
करूंगी । हिंसक पशुओं ने आना शुरू कर दिया है, जल पीने के लिए । एक आता है, देखता है बकरी अकेली है, वाह मौज हो
गई । शिकार मिल गया । पानी बाद में पीयेंगे, पहले इसे खाते हैं । एक ही बात कहती है बकरी, खाने से पहले मुझे यह देख लो कि मैं किसकी शरण में बैठी हूं ।
बसस हिंसक पशु वहीं से मुड़ जाते हैं । पानी पिया और चलते बने ।
शेर, जिसके पंजे का आश्रय लिया है, देवी वह आ गए हैं । अरे बकरी , तू किसके सहारे पर निर्बल बैठी है यहां । तेरे सहारे, तेरे पंजे पर बैठी हूं । प्रसन्न हुआ । शेर प्रसन्न हुआ । यदि शेर जैसा व्यक्ति, व्यक्ति कहो, पशु कहो, हिंसक पशु, यह बात सुनकर प्रसन्न हो सकता है, तो परमात्मा की तो बात ही क्या है । इतना ही तो कहा है ना, पहले देख लो, मैं किसकी चरण शरण में हूं ।
“सुख सपना दुख बुदबुदा, दोनों है मेहमान”
ऐसा व्यक्ति क्या कहता है
“सुख सपना दुख बुदबुदा, दोनों है मेहमान,
सबका आदर कीजिए, जो भेजे भगवान”
काहे की परवाह पड़ी है, सिर पर बैठा है
ना । देखो ना मैं किसकी चरण शरण में बैठा हुआ हूं ।
ऐसे साधक को साधक जनो रक्षा के लिए संसार के पास जाना नहीं पड़ता, कठिन काम है, बहुत कठिन काम है, बहुत ही कठिन काम है ।
हम use to तो संसार में ही जाने के हैं । संसार की चरण शरण में जाना हमारा स्वभाव बना हुआ है और यहां कहा जाता है कि परमात्मा की चरण शरण में जाइएगा ।
-
LIVE
CHiLi XDD
4 hours agoTekken Fight Night
173 watching -
LIVE
ItsLancOfficial
9 hours agoFREAKY FRIDAY-GETTING FRIED-WELP! #TOTS
87 watching -
1:09:11
Sarah Westall
5 hours agoRead the Signs: Are We Already Operating in a New Financial System? w/ Andy Schectman
20.7K4 -
1:32:53
Flyover Conservatives
9 hours agoRicky Schroder Exposes How Hollywood Planted Him as a Child Star | FOC Show
22K3 -
LIVE
JahBlessCreates
3 hours ago🎉 TEKKEN TING, and maybe some music...
189 watching -
LIVE
GritsGG
4 hours agoTop 250 Ranked Grind! Dubulars!🫡
55 watching -
LIVE
StuffCentral
3 hours agoStar Stuffy
21 watching -
6:02
Blackstone Griddles
5 hours agoPrime Rib Brisket Burgers on the Blackstone Griddle
7.29K2 -
LIVE
HELMETFIRE
3 hours ago🟢HELMETFIRE PLAYS: Silksong Part 4🟢
16 watching -
1:14:07
Glenn Greenwald
9 hours agoGlenn Takes Your Questions: Billionaires, Bari Weiss and Journalism | SYSTEM UPDATE #509
67.5K34