जानिए 'राजदंड' की कहानी जो संसद में किया गया स्थापित | नेहरू को सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौ

1 year ago
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5000 साल पुराना है सेंगोल का इतिहास, जानिए 'राजदंड' की कहानी जो संसद में किया गया स्थापित , राजदंड क्या होता है
यह हजारों साल प्राचीन परंपरा है। राज्याभिषेक के समय जब नए राजा को मुकुट बनाया जाता था तब उसे राजदंड भी दिया जाता था। यह इस बात का प्रमाण होता है कि, राजदंड धारण करने वाला व्यक्ति राज्य का मुख्य न्यायाधीश है।
राजदंड केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में प्रयोग किया जाता रहा है। ईसाई देशों में इसे अंग्रेजी भाषा में SCEPTER अथवा ROYAL SCEPTER कहा जाता है। वहां इसका अर्थ होता है, सत्ता का अधिकारी होना। यानी जिस व्यक्ति के हाथ में SCEPTER है, भीड़ में पहचाना जा सकता है कि वही राजा है।
तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरू को सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर सेंगोल सौंपा गया. वहीं प्राचीन इतिहास पर नजर डालें तो सेंगोल के सूत्र चोल राज शासन से जुड़ते हैं, जहां सत्ता का उत्तराधिकार सौंपते हुए पूर्व राजा, नए बने राजा को सेंगोल सौंपता था. यह सेंगोल राज्य का उत्तराधिकार सौंपे जाने का जाने का जीता-जागता प्रमाण होता था

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