Premium Only Content

Pravachan Shree Vishwamitra ji Maharaj
परम पूज्य डॉ विश्वामित्र जी महाराज जी के मुखारविंद से
((986))
*श्री भक्ति प्रकाश भाग ५०३(503)*
*ईर्ष्या एवं अभिमान*
*सिद्ध चांगदेव*
*भाग-१*
ईर्ष्या के अंतर्गत सिद्ध चांगदेव की एवं संत ज्ञानेश्वर की चर्चा चल रही थी । सिद्धियों का प्रदर्शन करने के लिए, संत ज्ञानेश्वर को नीचा दिखाने के लिए, चांगदेव जी प्रयासरत हैं । ईर्ष्या क्या करती है, यह कल आप जी से अर्ज की थी । ईर्ष्या में जिसके प्रति आप ईर्ष्यालु हैं, उसको आप नीचा दिखाना चाहते हैं, उसे आप नीचा सिद्ध करना चाहते हैं ।
जिसके प्रति देवियो ईर्ष्या है, स्पष्ट है आप स्वीकार करती हैं कि वह आगे है, वह उच्च है, तभी तो ईर्ष्या है । नहीं तो ईर्ष्या किस बात की होती ? अब आपसे यह सहन नहीं होता, कि आप वहां उच्च, उतनी दूर तक, उतनी ऊंचाई तक, पहुंच नहीं सकते । निराशा अंदर जलन उत्पन्न करती है । इसी को ईर्ष्या की अग्नि कहा जाता है । तो व्यक्ति क्या करता है ? जो आगे है, उसे नीचा दिखाने की कोशिश करता है ।
दुर्गुण ना होते हुए भी उसके अंदर दुर्गुण ढूंढता है, और फिर औरों के सामने बखान करता है । ताकि दूसरे भी जो उसे उच्च समझते हैं, आगे समझते हैं, वह उसे नीचा समझने लग जाए । उन्हें यथार्थता समझ आ जाए । इसके अनुसार यथार्थता यह है कि वह नीचे है, इतना ऊंचा नहीं है ।
साधक, साधक जनो, भक्त जिसमें ईर्ष्या लेश मात्र भी हैं,
भक्ति के आचार्य कहते हैं वह भक्त कहलाने योग्य नहीं है । ऐसा गंदा दुर्गुण है यह । जो हमारे किसी के अंदर नहीं होना चाहिए even लेश मात्र ।
भक्त क्या करता है, भक्त के अंदर भी
ईर्ष्या आती होगी । साधक के अंदर भी ईर्ष्या आती होगी । साधन काल में बहुत कुछ होता है । सेवा भी तो साधना है । कौन सेवा अधिक कर रहा है, किस को अधिक सम्माननीय माना जा रहा है, किसकी सेवा को स्वीकार किया जा रहा है, कौन सेवा में आगे बढ़ गया हुआ है, कल आए आज बहुत आगे बढ़ गए, यह सब ईर्ष्या के चिन्ह हैं साधक जनों ।
देवरानी जेठानी की ईर्ष्या, ननद भाभी की ईर्ष्या, भाई भाई की ईर्ष्या, सास बहू की ईर्ष्या, कल की बहू उससे ईर्ष्या सास की, यह सब बातें हमारे देखने में आती है । तो भक्त की सोच किस प्रकार की होती है, भक्त कहता है, परमात्मा है सबको बड़ा बनाने वाला । तो मैं उसे छोटा बनाने की बजाय मैं स्वयं ही बड़ा क्यों ना बनू । तो वह बड़ा बनता है । देखो ना देवियो सज्जनो,
दो रेखाएं आपने खींची हैं, दो लाइनें आपने लगाई हैं । कोई अध्यापक अध्यापिका आपसे कहे बिना काटे एक को छोटा कर दो तो क्या करना होगा ? जो दूसरी है उसे लंबा कर दीजिएगा, तो वह दूसरी अपने आप छोटी हो जाती है । तो साधक क्या करता है, भक्त क्या करता है, वह उनके प्रति जलन ना रखकर तो अपने आप को उन जैसा बनने के लिए, और उससे भी आगे बढ़ने के लिए, साधनारत रहता है । ताकि अपने आपको वह बड़ा बना सके । तो ईर्ष्या का स्थान कोई नहीं रहता । अब ईर्ष्या होगी तो दूसरे व्यक्ति को होगी इसके प्रति, इसके अंदर किसी प्रकार की ईर्ष्या नहीं होगी ।
सिद्ध चांगदेव संत कहलाने योग्य नहीं है । इसलिए उसे बार-बार सिद्ध कहा जा रहा
है । वह अपनी सिद्धियों का प्रदर्शन करना चाहता है, ताकि संत ज्ञानेश्वर को नीचा दिखाया जाए । कल का छोकरा, सोलह साल की आयु है उसकी, और यह इतना महान, इतना ज्ञानी हो गया है । तो कल आप जी ने देखा कोरा कागज उसे पत्र के रूप में ज्ञानेश्वर जी के पास पहुंचा दिया ।
ज्ञानेश्वर जी महाराज उस पर इतना ही कहते हैं - जाकर उन्हें message दे दीजिएगा, संदेश दे दीजिएगा, चांगदेव आपकी आयु तो चौदह सौ वर्ष है, लेकिन हो कोरे के कोरे ।
कल यहां तक चर्चा हुई थी ।
उत्तर मिल गया है सिद्ध चांगदेव को । और चिढ़े हैं । ठीक है मैं इसे बतलाऊंगा कि मैं कौन हूं, कैसा हूं ? जहां देवियो ईर्ष्या होती है वहां अभिमान भी स्वत: ही होता है । बात तो सारी, खेल तो सारे उसी के हैं । वह व्यक्ति क्रोधी भी होता है, जिसके अंदर ईर्ष्या होती है । सो अनेक सारी अग्नियां इकट्ठी हो कर तो उस व्यक्ति के भीतर को जलाकर राख कर देती है । किसी काम का नहीं रहने देती । इसकी तुलना साधक जनों संत महात्मा ऐसी अंगीठी से करते हैं, पुराने वक्तों में कोयले की अंगीठियां हुआ करती थी । यदि कुछ दिनों के बाद उनके अंदर से लिपाई नहीं की जाती थी तो, वह अंगीठी जर्जर हो जाती थी । वह किसी काम की नहीं रहती थी ।
संत महात्मा कहते हैं यह जितनी भी अग्नियां हैं, चाहे ईर्ष्या की अग्नि है, क्रोध की अग्नि है, वैर द्वेष की अग्नि है, यह सारी की सारी अग्नियां मिलकर हमें बिल्कुल उसी अंगीठी की तरह जर्जर बना देती है । मानो किसी काम की नहीं रहने देती । और तुलना देते हैं ईर्ष्यालु कि जिस पेड़ को दीमक लगी हुई हो, उस पेड़ को आप खाद भी दीजिए, पानी भी दीजिए, प्रकाश भी दीजिए, उसके बावजूद भी वह कभी फलता फूलता नहीं
है । ऐसी ही हालत ईर्ष्यालु की हुआ करती
है । सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं होता । क्यों ईर्ष्या ने अंदर से जलाकर बिल्कुल राख कर दिया हुआ है, निरर्थक कर दिया हुआ है, नीरस कर दिया हुआ है ।
-
1:00:39
The Rubin Report
1 hour agoIt’s Official: Border Czar Names the Four Blue Cities Trump Will Target Next
5.58K3 -
LIVE
The Mel K Show
53 minutes agoMORNINGS WITH MEL K - Clown Show in DC RFK Jr. Hearing Prove We the People are the Only Answer 9-5-25
465 watching -
LIVE
Film Threat
17 hours agoTHE CONJURING: LAST RITES + SPLITSVILLE + TONS OF REVIEWS! | Film Threat Livecast
72 watching -
59:45
VINCE
3 hours agoRFKage Match! Kennedy Destroys Corrupt Senators In Wild Hearing | Episode 119 - 09/05/25
127K90 -
LIVE
LFA TV
5 hours agoLFA TV ALL DAY STREAM - FRIDAY 9/5/25
3,266 watching -
LIVE
Benny Johnson
2 hours agoBiden Appears With MASSIVE Scar on Face, New Health Horror Revealed! Sobbing Jimmy Kimmel FLEEING US
4,421 watching -
LIVE
The Big Mig™
4 hours agoBig Pharma's Puppets: RFK Jr. Takes on Congress
8,274 watching -
LIVE
Total Horse Channel
12 hours ago2025 Reno Snaffle Bit Futurity | Friday
20 watching -
26:40
Rethinking the Dollar
2 hours agoPeter Schiff: "Trump's Economy WORSE Than Biden" | Morning Check-In: Let's Talk...
3.95K11 -
1:55:15
Badlands Media
7 hours agoBadlands Daily: September 5, 2025
28.4K6