Phero Na Najariya

1 year ago
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भारत में आज भी दो प्रकार की अर्थव्यवस्था काम कर रही है-एक है शहरी अर्थव्यवस्था और दूसरी है ग्रामीण अर्थव्यवस्था। सरकारी स्तर पर कभी भी यह जांचने परखने का प्रयास नही किया गया कि भारत के सुदूर देहात की अर्थव्यवस्था आज भी सुचारू रूप से क्यों चल रही हैयदि यह जांचा परखा जाए तो उस सुचारू व्यवस्था के पीछे आपको गाय खड़ी मिलेगी।
मनुष्य के शरीर के किसी अंग पर सूजन आ जाने पर लोग गाय के गोबर का लेप कर लेते हैं। जो लोग गाय के गोबर को केवल मल ही मानते या समझते हैं वे भूल करते हैं। गाय का गोबर मल नहीं है यह मलशोधक है दुर्गन्धनाशक है एंव उत्तम वृद्धिकारक तथा मृदा उर्वरता पोषक है। गाय के गोबर में पूतिरोधी एन्टिडियोएक्टिव एवं एन्टिथर्मल गुण होता है गाय के गोबर में लगभग १६ प्रकार के उपयोगी खनिज तत्व पाये जाते है ।
इसलिए जब भी कोई पूजन या हवन जैसा कोई धार्मिक कार्य किया जाता है तो उस जगह को गाय के गोबर से लिपा जाता है। गाय के गोबर से बने उपले से हवन कुण्ड की अग्नि जलाई जाती है।
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