सारनाथ मंदिर | Buddha Temple Sarnath | Sarnath Statue , Ashok Stambh | History of Sarnath
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यह विहार धर्मराजिका स्तूप से उत्तर की ओर स्थित है। पूर्वाभिमुख इस विहार की कुर्सी चौकोर है जिसकी एक भुजा 18.29 मी. है। सातवीं शताब्दी में भारत-भ्रमण पर आए चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने इसका वर्णन 200 फुट ऊँचे मूलगंध कुटी विहार के नाम से किया है। इस मंदिर पर बने हुए नक़्क़ाशीदार गोले और नतोदर ढलाई, छोटे-छोटे स्तंभों तथा सुदंर कलापूर्ण कटावों आदि से यह निश्चित हो जाता है कि इसका निर्माण गुप्तकाल में हुआ था। परंतु इसके चारों ओर मिट्टी और चूने की बनी हुई पक्की फर्शों तथा दीवारो के बाहरी भाग में प्रयुक्त अस्त-व्यस्त नक़्क़ाशीदार पत्थरों के आधार पर कुछ विद्धानों ने इसे 8वीं शताब्दी के लगभग का माना है।
ऐसा प्रतीत होता है कि इस मंदिर के बीच में बने मंडप के नीचे प्रारंभ में भगवान बुद्ध की एक सोने की चमकीली आदमक़द मूर्ति स्थापित थी। मंदिर में प्रवेश के लिए तीनों दिशाओं में एक-एक द्वार और पूर्व दिशा में मुख्य प्रवेश द्वार (सिंह द्वार) था। कालांतर में जब मंदिर की छत कमज़ोर होने लगी तो उसकी सुरक्षा के लिए भीतरी दक्षिणापथ को दीवारें उठाकर बन्द कर दिया गया। अत: आने जाने का रास्ता केवल पूर्व के मुख्य द्वार से ही रह गया। तीनों दरवाजों के बंद हो जाने से ये कोठरियों जैसी हो गई, जिसे बाद में छोटे मंदिरों का रूप दे दिया गया। 1904 ई. में श्री ओरटल को खुदाई कराते समय दक्षिण वाली कोठरी में एकाश्मक पत्थर से निर्मित 9 ½ X 9 ½ फुट की मौर्यकालीन वेदिका मिली। इस वेदिका पर उस समय की चमकदार पालिश है। यह वेदिका प्रारम्भ में धर्मराजिका स्तूप के ऊपर हार्निका के चारों ओर लगी थीं। इस वेदिका पर कुषाणकालीन ब्राह्मी लिपि में दो लेख अंकित हैं- ‘आचाया(र्य्या)नाँ सर्वास्तिवादि नां परिग्रहेतावाम्’ और ‘आचार्यानां सर्वास्तिवादिनां परिग्राहे’। इन दोनों लेखों से यह ज्ञात होता है कि तीसरी शताब्दी ई. में यह वेदिका सर्वास्तिवादी संप्रदाय के आचार्यों को भेंट की गई थी।
उत्तर प्रदेश के वाराणसी (Varanasi) को शिव नगरी भी कहा जाता है. यहां पर अनेकों प्राचीन मंदिर और घाट हैं जहां दूर-दूर से भक्त दर्शन के लिए आते हैं. लेकिन आप घाटों की भीड़-भाड़ से दूर कुछ सुकून के पल बिताना चाहते हैं तो सारनाथ आपके लिए बेस्ट जगह है. सारनाथ देश भर में सबसे पवित्र बौद्ध तीर्थस्थलों में से एक है. यहां बोधगया में ज्ञान प्राप्ति के बाद भगवान ने महा धर्म चक्र परिवर्तन के रूप में अपना पहला पवित्र उपदेश दिया था. इसलिए यहां की कई संरचनाओं और स्मारकों का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है. बता दें कि ये प्राचीनतम नगर सम्राट अशोक के शासन में काफी फला-फूला है. चलिए आपको बताते हैं यहां की फेमस स्थलों के बारे में....
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Love Nature
2 years agoBuddha Statue at Buddha Garden
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Praveen Mohan - Hindu Temples
1 year agoSuppressed History of Ancient India - Srirangam Temple | Hindu Temple |
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HaloRockCodeX
10 months agoThe Magnificent Srirangam Temple - India
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Praveen Mohan - Hindu Temples
1 year ago3000 Year Old Statue Reveals Advanced Technology? Uthirakosamangai Temple, India | Hindu Temple |
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ViewPoint12
1 year agotrek to lattarameshowr mahadev temple
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@micky's
1 year agoThe Brihadeeswarar Temple
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Online shopping
3 years agoSri lankan temple
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djjsimpson
1 year ago🇹🇭 The Most Famous Buddha Statue In The World
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Mm2580
10 months agoNepal pashupatinath temple
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Amir Kishore
8 months agoKarnak Temple Explained
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