JAI GURUDEV NAM PRABHU KA

1 year ago
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जयगुरुदेव

24.03.2023
प्रेस नोट
उज्जैन (म.प्र.)

*सतसंग का फायदा कब होता है*

*23 मार्च को शहीद दिवस भी क्यों मनाया जाता है*

*भारत में अंग्रेज किसलिए आए थे, देश 1948 में कैसे आजाद हुआ*

निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 24 अप्रैल 2023 प्रातः उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि आप मुक्ति दिवस के अवसर पर सतसंग सुनने के लिए, मार्गदर्शन पाने के लिए गृहस्थी से थोड़ा समय निकालकर यहां उज्जैन आश्रम आ गए थे। नयों को नामदान मिल गया, झंडारोहण हो गया। जब लोग घर से चलते हैं तो सुनने जानने की इच्छा लेकर आते हैं लेकिन जिस चीज को सुना जाए, उसे धुना ( उस पर विचार करना) भी जाए कि इसमें अच्छी बात हमारे लिए कौनसी है? उन बातों को पकड़ा जाए और जैसा सतसंग में सुना जाए, वैसा किया जाए। तब तो इसका फायदा है। वरना एक कान से सुने और दूसरे से निकाल दिया, न तो बातें याद रह गई कि दूसरे को बता भी सकते हैं कि क्या सुनाया बताया गया था और न ही अपने ऊपर अमल कर पाते हैं। उससे कोई फायदा नहीं होता है। इसलिए जब भी खबर मिले, आ जाना चाहिए। सतसंग से हर तरह का फायदा लाभ होता है।

*23 मार्च को शहीद दिवस भी क्यों मनाया जाता है*

23 मार्च को गुरु महाराज का मुक्ति दिवस मनाया गया। शहीदों को लोगों ने श्रद्धांजलि दिया। शहीद दिवस मनाया गया। कौन शहीद? भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव, यह सब जो शहीद हुए हैं। कब हुये? देश को आजाद कराने को जो योगदान दे रहे थे, जो अन्याय को बर्दाश्त न करके, आगे बढ़ रहे थे। अंग्रेजों के, उनकी व्यवस्था के खिलाफ आवाज लगा दिया था। उन लोगों को अंग्रेजों ने फांसी के फंदे पर लटका दिया था। लेकिन वह वीर, सपूत थे। देश के लिए उन्होंने कुर्बानी दे दी। लोग अपने लिए कुर्बानी देते हैं कि मर मिट जाएंगे, कोई बात नहीं है लेकिन हम यह जमीन जायदाद नहीं जाने देंगे, हम नीचा नहीं देखेंगे। और उसी में लोगों की जान भी चली जाती है। अपने परिवार स्वार्थ के लिए लोग मर जाते हैं। लेकिन जो लोग शहीद हुए वो देश के लोगों के लिए हुए। जिससे बहुत से लोगों को लाभ मिला। उस समय शहीदों वीरों का एक बूंद भी खून बहा, वहां से लाखों लोगों के अंदर जज्बात पैदा हो गया कि देखो यह अत्याचार के, देश के खिलाफ, हमारे आने वाली पीढ़ी के लिए उन्होंने जान दे दी तो हमको भी अब आगे बढ़ना चाहिए। नहीं तो उस समय पर अंग्रेजों का इतना आतंक था कि उनके खिलाफ कोई बोल नहीं सकता था। लेकिन इतिहास बता रहा है कि जब-जब ऐसी स्थिति आई तब वीर बहादुर लोग आगे बढ़े हैं। और जब उन्होंने संकल्प बनाया, उस मालिक के पास आवाज लगाई है, उनकी आत्मा जब तड़पती हुई यहां शरीर से निकली है और उधर आवाज लगाई, हम तो निकल रहे हैं, यहां से जा रहे हैं लेकिन जिनके लिए हम जान दे रहे हैं आप इनके ऊपर दया करो तो उसने सुनवाई कर लिया। और परिवर्तन हो गया है।

*गुरु महाराज ने बताया देश 1948 में कैसे आजाद हुआ*

1947 में देश आजाद हुआ। 15 अगस्त को अंग्रेज छोड़ करके गए। लेकिन हमारे गुरु महाराज कहा करते थे कि देश 1948 में आजाद हुआ। अब ऐसा वह क्यों कहते थे? इसलिए कहते थे जो माउंटबेटन राय साहब हुकूमत करने वाले, उस समय देश (मुल्क) के मालिक थे । वह एक साल तक यहीं जमे रहे। दिमागी थे वह लोग।

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