क्या होता है जब एक काली बिल्ली आपका रास्ता काटती है ? | अर्था | आध्यात्मिक विचार
क्या होता है जब एक काली बिल्ली आपका रास्ता काटती है ?
काली बिल्ली का डर तो सबको पता है, यह विडियो आपको बताएगा काली बिल्ली के रास्ता काटने से कौन कौन से लाभ और नुकसान होते है
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चरण स्पर्श के पीछे छुपा हे कोनसा ज्ञान ? | अर्था | आध्यात्मिक विचार
चरण स्पर्श के पीछे छुपा हे कोनसा ज्ञान ? | ARTHA
बड़ो के पैर छूना हिन्दू संस्कृति में आदर की बात मानी जाती है, पर क्या आप जानते है इस परंपरा के पीछे छिपा ज्ञान???? देखिए यह विडियो
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दीपक जलाने के क्या महत्त्व है ? | अर्था | आध्यात्मिक विचार
१. दीपक, प्रकाश यानि ज्ञान का प्रतीक है जो हमें विस्तृत ज्ञान देकर प्रकाशित करता है
२. प्रकाश को भगवान की तरह पूजा जाता है
३ प्राचीनतम वेद के पहले भजन - 'ऋग्वेद' में आग के देवता - अग्नि को संबोधित किया है
४. जिस तरह प्रकाश,अंधेरे क़ो दूर करता है, उसी तरह ज्ञान, अज्ञानता को दूर करता है
५. जब हम दीपक जलाते है, तो हम ज्ञान के सबसे महान स्तोत्र के आगे ख़ुद को अधीन करते हैं
६. दीपक में रखे घी या तेल हमारे नकारात्मक विचारधारा, वासनाएं, दुष्टता, और अहंकार का प्रतिक है, जो जल कर ख़त्म होने वाली है
७. दीपक कि ज्योति हमेशा ऊपर की ओर रहती है, जिसका तात्पर्य है की अगर आप ईश्वर में आस्था रखते है तो आप उन्हें अवश्य देख पायेंगे
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पीपल के पेड़ का भारतीय संस्कृति में क्या महत्त्व है ? | अर्था | आध्यात्मिक विचार
पीपल के पेड़ को भारत में एक महत्वपूर्ण पेड़ माना जाता है, धार्मिकता के दृष्टी से पीपल के पेड़ का क्या महत्त्व है ? जानने के लिए देखिए यह विडियो
१ पीपल के पेड़ को सर्प्रथम भारत में मोहनजोदड़ो के मुहर पर दर्शाया हुआ पाया गया, जो की सिंधु घाटी की सभ्यता का सबसे पुराना शहर है
२ समयनुसार पीपल के पेड़ को सामाजिक एवं धार्मिक दृश्टिकोण से पवित्र माना जाने लगा
३ पीपल के पेड़ को भगवान विष्णु का प्रिय माना जाता है
४ हिन्दू पुराणों के अनुसार, भगवान शिव की पत्नी, देवी पार्वती द्वारा भगवान विष्णु को श्राप दिए जाने के बाद, वह पीपल के पेड़ में बदल गए
५ पीपल के पेड़ को, प्रथानुसार, माता लक्ष्मी का निवास स्थान भी माना जाता है । इसमें पृथ्वि एवं स्वर्ग के बीच संपर्क करने की क्षमताएँ भी है
६ ऐसा माना जाता है की, सभी देवी देवताए इस पेड़ के निचे उनकी सभा (परिषद ) का आयोजन करते हैं, इसलिए पीपल के पेड़ को आध्यात्मिक रूप से देखा जाता है।
७ पीपल वही पेड़ है जहाँ माता सीता ने आश्रय लीया था । इस पेड़ पर बैठकर, भगवान हनुमान ने माता सीता के साथ हो रहे सभी दुखों को देखा था । इसलिए भगवान हनुमान के हृदय में, पीपल के पेड़ के प्रति एक ख़ास स्थान है ।
८ भगवान बुद्ध ने पीपल के पेड़ के निचे ध्यानमग्न हो कर असीम शांति और ज्ञान की प्राप्ति की थी, इसलिए यह पेड़ बुद्ध धर्म वालों के लिए धार्मिक है
९ तीर्थंकार अनंतनाथ के साथ अपने सहयोग के लिए पीपल के पेड़ की जैन धर्म में पूजा की जाती है
१० 'वृक्ष आयुर्वेद' में इस पवित्र पेड़ के वृक्षारोपण के लिए, दिए विशेष निर्देश के अनुसार, पीपल के पेड़ को घर के पश्चिमी दिशा में लगाया जाना चाहिए।
११ खासतौर पर पीपल के पेड़ की पूजा कार्तिक महीने की जाती है ।
१२ इस पवित्र पेड़ की लकड़ी को कभी भी ईंधन के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाता, ऐसा करने से भगवान कोपित होते हैं, पर अंतिम संस्कार जैसी विधियों में हम इसे इस्तेमाल कर सकते हैं
१३ स्त्रियां संतान सुख, या मनचाहे पति की प्राप्ति और उनकी दीर्घआयु के लिए पीपल के पेड़ की परिक्रमा करती हैं
१४ हिन्दू धर्म में माना जाता है कि, पवित्र जग़ह या सड़कों के किनारे पीपल का पेड़ या कोई अन्य पवित्र पेड़ लगाने से, पुण्य की प्राप्ति होती है
१५. आयुर्वेद में, पीपल का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है
काशी शहर को क्यों माना जाता है सबसे पवित्र स्थल ? | अर्था | आध्यात्मिक विचार
काशी शहर को क्यों माना जाता है सबसे पवित्र स्थल ? | ARTHA
१ काशी, जिसे अब बनारस के नाम से जाना जाता है, गंगा नदी के तट पर स्थित है और 'भारत की सांस्कृतिक राजधानी' के रूप में लोकप्रिय है।
२ यह मान्यता है की काशी को स्वयं भगवान शिव ने बसाया था
३ भगवान शिव को काशी के संगीत, बौद्धिक शक्ति और लोगों से प्यार हो गया और इस शहर को अपना निवास स्थान बनाने का फैसला किया।
४ काशी को " मोक्ष धाम" माना जाता है, और ऐसा मानना है की यह आशीर्वाद इसे स्वयं सर्वशक्तिमान ईश्वर से प्राप्त हुआ है
५ काशी पृथ्वि का पर सबसे पुराना शहर है
६ मार्क ट्वेन ने कहा था, "बनारस इतिहास से भी पुराना है, परंपरा से अधिक पुराने हैं, कथाओ से भी पुराना है, और इन सभी को एक साथ रख कर भी देखें तोह भी यह उनसे दोहरे गुना में पुराना है"
७ काशी हिंदू धर्म और जैन धर्म में सात पवित्र शहरों (सप्त पुरी) में से एक पवित्र शहर है , काशी ने बौद्ध धर्म के प्रारंभिक चरणों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है
८ हिंदू महाकाव्य 'महाभारत' के नायक पांडवोंने,भगवान शिव की तलाश में इस शहर का दौरा किया
९ सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक, काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है
१० यहाँ पृथ्वी पर मौजूद भगवान शिव के बारह "ज्योतिर्लिंग" में से एक "ज्योतिर्लिंग" मौजूद है
११ वाराणसी सिल्क, मलमल, सोने और चांदी के जरी वस्त्र, हाथीदांत के काम, अतर और मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है
१२ काशी में गंगा नदी के तट पर 'रामचरितमानस' लिखने वाले ऋषि तुलसीदास से लेकर, आधुनिक समय के मुंशी प्रेम चंद सभी इस शहर में रह चुके हैं
हम उपवास क्यों करतें है ? | उपवास या व्रत रखने के क्या फ़ायदे है ? | अर्था | आध्यात्मिक विचार
हम उपवास क्यों करतें है ? | ARTHA
क्या उपवास या व्रत करने से भगवान ख़ुश होते हैं ?, जानने के लिए देखिए यह वीडियो
१. भारत में ज्यादाकर सभी उपासक (भक्त) नियमित रूप से या त्योहारों और एकादषी जैसे विशेष अवसरों पर उपवास रख़ते है
२. इन सभी अवसरों पर व्यक्ति या तो कुछ नहीं खाते, या सिर्फ एक बार हि खाते है, या फलाहार करते है या तो सामान्य भोजन ग्रहण करते है
३. उपवास एक संस्कृत शब्द हे जिसका मतलब , "उपा" का तात्पर्य नजदीक + वास का ततात्पर्य "निवास करना "। अर्थात आध्यात्म की प्राप्ति के लिए ईश्वर के समीप निवास करना
४. फिर भोजन कर कैसे उपवास किया जाता है ?
उपवास हमें कमजोर ना कर दे, चिड़चिड़ा न कर दे या अतृप्त की भावना मन में न रह जाए। और यह तब होता जब उपवास करने के पीछे कोई महान उद्देश्य नहीं होता
५. भगवत गीता में कहा गया है की हमें उचित आहार ग्रहण करना चाहिए - न तो बहुत कम है और न ही बहुत ज्यादा। और हमें हमेशा सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए, भले ही हम उपवास करे या न करे
६. यह बात वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी साबित हो चूकि है कि, उपवास दिमाग को शांत और निर्मल रखता है
मेहंदी लगाना भारतीय शादियों में एक परंपरा क्यों बन गई है ? | अर्था | आध्यात्मिक विचार
मेहंदी लगाना भारतीय शादियों में एक परंपरा क्यों बन गई है | ARTHA
मेहंदी हाथो को सुंदर एवं आकर्षक बनाती है, महिलाओं को हाथो में मेहंदी लगाना बहुत अच्छा लगता है और जब शादी जैसे समारोह की बात हो तब तो ये खुद को
रोक नहीं पाति, क्या यही वजह है की आजकल शादियों में मेहंदी लगाना एक परंपरा बन चुकी है ? यह विडियो देख आप इस सवाल का जबाव ढूंढ़ पाएंगे..
१ भारत में सभी धर्मो में शादी - विवाह के मौक़े पर मेहंदी समारोह सबसे प्रसिद्ध रिवाज़ है
२. इस समारोह में, वधु के हाथो और पैरों में मेहंदी लगायी जाती है, और कभी कभी वर को भी लगायी जाती है
३. भारत में किसी भी उत्सव पर मेहंदी लगाना एक रिवाज़ बन गया है, जैसे करवा चौथ, तीज , दिवाली, रमज़ान और कोई भी त्योहार क्यू न हो
४. मेहंदी विवाह बन्धन की महत्ता बताती है, और इसलिए इसे शगुन के रूप में देखा जाता है । यह शादी शुदा जोड़े एवं उनके परिवार के बीच प्यार एवम लगाव की गहराईयों को दर्शाती है
५. वधु के हाथ में मेहँदी के गाढ़ा रंग चढ़ने से, होने वाले वर -वधु के बीच काफी प्यार होने की संभावना जताई जाती है
६. और जितने लंबे समय तक हाथो में मेहंदी का रंग बरक़रार रहता है, ये उतना ही नव विवाहित जोड़ियों के लिए शुभ माना जाता है
७ मेहंदी गर्भधारण की क्षमता के लिए भी एक सांकेतिक चिन्ह माना जाता है
८. केवल पति -पत्नी के बीच का ही प्रेम नहीं, बल्कि मेहँदी का रंग सास- बहु के बीच प्रेम और समझदारी को बयां करता है
जानिए घर में तोरण बांधने के कई अनसुने तथ्य | अर्था | आध्यात्मिक विचार
तोरण हम घर का प्रमुख द्वार शुशोभित करने के लिए इस्तेमाल करते हैं, क्या सिर्फ यही एक वजह है जिस के लिए हम तोरण लगाते है, इस विडियो के जरिये जानिए घर में तोरण बांधने के कई अनसुने तथ्य !
१. मुख्यतः घर में तोरण को लगाने का उद्द्येश है, धन की देवी माता लक्ष्मी को आकर्षित एवं प्रसन्न करना
२.हिंदुओं एवम बुद्ध धर्मियो में तोरण अथवा वन्दनवार का काफी महत्व है।
३.अधिकांशतः तोरण के लिए आम के पत्ते (जिसमें विशाक्त हवाओ को रोकने की क्षमता है) गेंदे के फूल के साथ (जो की आस्था के लिए शुभ है) मिलाकर बनाये जाते है
४. कोई भी हरी पत्तियां गंदी हवाओं को शुद्ध कर स्वच्क्ष हवा अपने आस पास विसर्जित करती है ।
५. घर के मुख्य द्वार को सुशोभित करने के अलावा, तोरण एक सुखद एवं अनुकूल स्वागत की भावनाये भी प्रस्तुत करती है
६. विभिन्न क्षेत्रों के अनुसार, तोरण कई प्रकार के कपड़े, धातुओ एवं कई सजावटी विशेषताओं से भी बनायीं जा सकती है
७. तोरण, साफ़ एवं स्वच्क्ष वातावरण बनाये रखने का एक साधारण तरीका है
८.अपने घर का वातावरण साफ़ एवं स्वक्ष रखने के लिए घर को तोरण से सजाते रहिये
भारतीय त्यौहार - विविधता में भी एकता | अर्था | आध्यात्मिक विचार
भारतीय त्यौहार - विविधता में भी एकता |
भारत को धर्मनिरपेक्ष देश कहा जाता है, यहाँ कई धर्म के लोग रहते है और इन सभी धर्मों के त्यौहार भी यहाँ धूमधाम से मनाये जाते है, त्योहारों के वजह से ही यहाँ सभी धर्मों के बिच एकता दिखाई देती है, यह विडीओ आपको इसी विभिन्न्ता की एकता का रूप दिखायेगा....
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१ भारत अपनी विभिन्न सांस्कृतिक परम्पराओ के लिए हमेशा गौरवान्वित होता रहा है
२ भारत, भिन्न भिन्न भाषाओं एवं धर्मो के व्यक्तियों की अजीब भूमि है
३ भारत में अधिकांशतः त्यौहार धर्म से सबंधित है
४ सभी त्यौहार चाहे वो हिन्दू, मुसलमान, क्रिश्चियन, जैन या सिख द्वारा मनाये जाए , वे सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है
५ रक्षाबन्धन, होली, दिवाली, शिवरात्री, गणपति पूजा और नवऱात्री ये सभी प्रमुख हिन्दू के त्यौहार है
६ मुस्लिम धर्म में रमज़ान, बक़रीद, मोहरम का काफी महत्व है
७ बुद्ध जयंति और महावीर जयंति, बौद्ध एवं जैन धर्म के अनुनायियों के द्वारा बड़े ही उत्साह के साथ मनाई जाती हैं
८ जीसस क्रिस्ट का जन्मदिन सिर्फ क्रिश्चियन ही नहीं और भी अन्य धर्मों के द्वारा बड़े धूम से क्रिसमस के रूप में मनाया जाता है
९ लोग इन सभी त्योहारों पर एक दूसरे को बधाई और शुभकामनाये देते है
१० ये सभी त्यौहार सांस्कृतिक एकता एवं भाईचारे की भावना को जन्म देते है
११ यह हमारे ह्रदय में भारतीयता की शुद्ध भावना को भी प्रेरित करते है
१२ ये सभी त्यौहार हमें सिखाते है कि, किस तरह विभिन्नता में भी एकता है, और कैसे इन उत्सवों से हम जीवन का आनंद प्राप्त कर सकते हैं
क्यों माना जाता हैं तुलसी को पवित्र ? | अर्था | आध्यात्मिक विचार
क्यों माना जाता हैं तुलसी को पवित्र ? | ARTHA
Tulsiis a sacred plant in Hinduismand is worshiped as the avatar of Goddess Lakshmi.
(Courtesy : mygodguru.blogspot.in
तुलसी के पौधे को हिंदू धर्म में पवित्र माना गया हैं और इसे देवी लक्ष्मी के अवतार स्वरूप पूजा जाता है
Tulsi leaves are an essential part in the worship of Lord Vishnuand hisvarious Avatars.
(Courtesy : oldveda.com)
तुलसी के पत्तों को भगवान विष्णु और उनकें विभिन्न अवतारों की पूजा में महत्त्वपूर्ण माना जाता हैं
As per Indian Mythology, Tulsi plant was formed during ‘Amrit Manthan’, when divine healer Dhanvatri’s happy tear fell into Amrit.
(Courtesy : bharathgyanblog.wordpress.com)
भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार, तुलसी के पौधे का निर्माण "समुद्र मंथन" के दौरान आरोग्य के देवता "धनवंतरी" के ख़ुशी के आंसू अमृत में गिरने से हुआ था
There are two types of Tulsi used in puja – light green ‘Ram Tulsi’ and ‘Shyama Tulsi’ which has dark green leaves.
(Courtesy : commons.wikimedia.org
(Courtesy : www.stylecraze.com
पूजा में दो प्रकार के तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल होता हैं, "राम तुलसी" जो हलके हरे रंग की होती हैं और "श्याम तुलसी" जो गहरे हरे रंग की होती हैं
Tulsiwhich isBasilinBotany is a naturalantibiotic,whichincreasesimmunityiftakeneveryday.
(Courtesy :hashem.com
तुलसी को विज्ञान में एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक माना गया हे, जिसे हर दिन खाने से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है.
Tulsi’s fragrance avertsmosquitoesandotherinsects.
(Courtesy :http://deshkijanta.com)
तुलसी की खुशबू मच्छरों और अन्य कीड़ों को दूर भगाती हैं
Tulsi enhancesthestaminaandhelps inailmentslikecough and cold.
Courtesy :www.doctorinsta.com
तुलसी सहनशक्ति को बढ़ाती है और खांसी - सर्दी जैसे रोगों को दूर करने में मदद करती है
Rosaries made from Tulsi stems or roots are traditionally used by Vaishnavs as well as followers of Lord Hanuman.
(Courtesy :IndiaDivine.org
तुलसी के जड़ो से बनी हुई मालाएं पारंपरिक रूप से वैष्णव और भगवान हनुमान के अनुयायी इस्तेमाल करते आ रहे हैं।
In Hindu tradition it is believed that, water mixed with Tulsi petals when given to the dying, raises their departing souls to heaven.
(Courtesy :http://www.collective-evolution.com)
हिंदू परंपरा में यह माना जाता है कि, मरते हुए को तुलसी पत्तो के साथ पानी देने से, उनकी आत्मा को स्वर्ग में स्थान प्राप्त होने में मदद मिलती हैं
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चूड़ियों का भारतीय नारी के जीवन में क्या महत्त्व है ? | अर्था | आध्यात्मिक विचार
चूड़ियों का भारतीय नारी के जीवन में क्या महत्त्व है ? | ARTHA
१ भारत में प्राचीन काल से हि नारियों में चूड़ियाँ पहनने की प्रथा है
२ इसे बांगड़ी या बांगली भी कहा जाता है , जिसका संस्कृत अर्थ है, ऐसी आभूषण जिसका उपयोग कलाईयों को अधिक आकर्षित करने के लिए किया जाये
३. भारतीय संस्कृति में चूड़ियाँ पहनना, शादीशुदा स्त्रियों के लिए शुभ माना जाता है
४. कुछ समुदायों में यह धारणाए है कि, बिना चूड़ियों के हाथ को अपशगुण माना जाता है, इसलिए जब चूड़ियाँ बदलनी होती है, तो स्त्रियां कम से काम एक चूड़ी हाथ में जरूर रखकर नए चूड़ियों को पहनती है
५. धार्मिक आस्थाओ के अनुसार, जिनकी पत्नी चूड़ियाँ पहनती है , उस पति को लंबे और स्वस्थ ज़ीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है
६. घर में चूड़ियों की खनक से नकारात्मक शक्तियों का असर कम होता है, और गृह क्लेश से निजात मिलती है
७. घर में चूड़ियों की खनक से ईश्वर की कृपा भी बनी रहती है
८. चूड़ियों को स्वास्थ, सुख एवं समृद्धि का प्रतीक माना जाता है
९. चूड़ियों का पहनना, हाथो की नसों को प्रभावित करती है एवं नाड़ियो को धड़कने में सहायता कर रक्त संचालन में बृद्धि करती है
घर और कार्य स्थान पर भगवान गणेश कि मूर्ति स्थापित करने के नियम
बहुत से लोग अपने घर और कार्यस्थल पर भगवान गणेश की मूर्तियों को सम्मानपूर्वक स्थान देते हैं। बाप्पा गणपति को विघ्नहर्ता कहा जाता है क्यूंकि वो सारे विघ्नो को दूर करते है, परंतु बाप्पा की मूर्ति सही स्थान पर अगर स्थापित नहीं की गई तो बहुत सारी बाधाएं आ सकती है।
1 भगवान गणेश कि मूर्ति कड़ी सावधानी के साथ घर और कार्य स्थल पर स्थापित करनी चाहिए
२ सबसे पहले, यदि आप अपने कार्यस्थल पर अपनी मूर्ति को स्थापित करने की योजना बना रहे हैं, भगवान गणेश की खड़ी मूर्ति को स्थापित करें क्योंकि यह ऊर्जा और उत्साह लाती है
३ दाहिने ओर झुकी सूँढ वाले भगवान गणेश को वक्रतुंड कहा जाता है पर इस मूर्ति को घर में नहीं रखा जाना चाहिए और अगर आप इसे घर में रखना चाहते हो तो आपको सख्त अनुष्ठानों का अनुपालन करने के की प्रतिज्ञा करनी होगी
४ घर के उत्तर-पूर्व कोने में मूर्ति का सर्वश्रेष्ठ स्थान माना जाता हैं जिसे ईशान्य कोने के रूप में भी जाना जाता है
५ खुशी, शांति और समृद्धि पाने के लिए भगवान गणेश की सफ़ेद संगमरमर की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए क्योंकि यह इरादा और आध्यात्मिकता की शुद्धता को दर्शाती है
६आम, पीपल और नीम के पत्तों से बनी गणेश जी की मूर्ति सकारात्मकता को आकर्षित करती है और इसे प्रवेश द्वार पर रखना शुभ माना जाता है
७ यदि आप आत्म-विकास की इच्छा रखते हैं तो शेंदुरी गणपति की मूर्ति की स्थापना करनी चाहिए जोआध्यात्मिक श्रेष्ठता की शुरुआत करती है
८ भगवान गणेश की बैठने वाली मूर्ति घर के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है क्यों वह घर को हर तरह से शांत और निर्धारित ऊर्जा देती है
९ मूषक और मोदक हमेशा गणेश जी के प्रतिमा का एक हिस्सा होना चाहिए। ये छोटे विवरण बेहद शुभ और अभिन्न हैं
१० इन नियमो को ध्यान में रखते हुए ही अपने स्थानों पर गणेश जी की मूर्ति की स्थापना कीजिये
अंगारकी संकष्टी चतुर्थी 2017 | भगवान गणेश के भक्तों के लिए
इस वीडियो में देखिए कि अंगारकी संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश के भक्तों के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन क्यों है
१ अंगारकी चतुर्थी यह एकमात्र संकष्टी चतुर्थी है जो मंगलवार को आती है और सभी दिनों में बहुत शुभ मानी जाती है
२ इस दिन का नाम ऋषि अंगारक नामक एक महान ऋषि के नाम पर है, जो भगवान गणेश के अनुयायी भक्त थे
3 हिन्दू शास्त्र कहते है कि कृष्ण चतुर्थी पर उन्होंने अपनी तपस्या से भगवान गणेश को प्रसन्न किया
४ ऋषि अंगारक ने उनका नाम भगवान गणेश से जुड़ा होना चाहिए ऐसी इच्छा रखी थी
५ भगवान गणेश ने उन्हें आशीर्वाद दिया और घोषित किया कि इस दिन को उनके नाम से जाना जाएगा
६ लोग यह भी मानते हैं कि इस दिन भगवान शिव ने घोषणा की थी की उनके पुत्र भगवान गणेश सभी देवताओं में श्रेष्ठ होंगे
७ भक्त इस दिन कड़ा उपवास रखते है और उपवास तोड़ने से पहले गणपति अर्थवशीष का पाठ पढ़ते हैं
८ ऐसे भक्तिपूर्ण वीडियो पाने के लिए हमारे यूट्यूब चॅनेल को सब्सक्राइब करें और हमारा फेसबुक पेज लाइक करें
Rameshwaram Darshan | रामेश्वर मंदिर के अनजाने सच | रामेश्वरम तीर्थ | अर्था । आध्यात्मिक विचार
भगवान राम और माता सीता द्वारा स्थापित रामेश्वरम मंदिर १२ ज्योतिर्लिंगों में से एक है इस वीडियो में जानिए इस मंदिर के निर्माण के बारे में अनसुने सच
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रहस्यमय कैलाश पर्वत | कौन से रहस्य इसे इतना आकर्षक बनाते हैं | अर्था | आध्यात्मिक विचार
कैलाश पर्वत तिब्बत में स्तिथ एक अद्भुत पर्वत हैं, पर इस पर्वत में कही सारे रहस्य छुपे हुए है, यह विडियो देखने के बाद आप उन सारे रहस्य के बारे में जान पाएंगे ।
१.विश्व पर अपनी अनूठी छाप छोड़ने वाले कैलाश पर्वत को संसार का सबसे प्रशंसित पवित्र स्थान माना गया हैं
२. यह २२००० फीट ऊंचाई पर स्थित श्यामल चट्टान है, जो ४ प्रमुख धर्मों जैन, हिन्दू बुद्ध और बोन के लिए परमपावन स्थान है
३. हिन्दुओं कि मान्यता है कि भगवान शिव इस पर्वत के शिखर पर ध्यान मग्न स्थिति में नित्य विराजमान हैं
४. अष्टपदा, कैलाश पर्वत के निकटतम पर्वत पर जैन तीर्थंकर, ऋषभ देव को निर्वाण की प्राप्ति हुई थी
५. बौद्ध तांत्रिक मानते हैं कि कैलाश पर्वत बुद्ध देमचोक का घर है जो सर्वोच्च परमानन्द का प्रतिनिधित्व करता है
६. बौद्ध से पूर्व के तिब्बत के बोन धर्म के अनुयायियों कि मान्यता है कि यह पर्वत आकाश की देवी सिपैमेन का आसन है
७. कैलाश पर्वत की तलहटी से १४,९५० फीट की ऊंचाई पर, मानसरोवर एवं राक्षसताल स्थित है
८. यह दोनों सरोवर एक दूसरे के इतने समीप हैं की केवल एक छोटी सी जलग्रीवा इन्हें अलग करती है
९. मानसरोवर विश्व का सबसे ज्यादा मीठे जल का पिण्ड है, जबकि राक्षस ताल खारे पानी का तालाब है
१०. मानसरोवर सम्पूर्ण वर्ष सौम्य एवं शांत रहता है जबकि राक्षस ताल निरंतर प्रचंड तूफानी रहता है
११. मान्यता है कि कैलाश पर्वत बैकुंठी देवताओं की गुहा है इसी कारण कोई नश्वर प्राणी इसे पार करने योग्य नहीं है
१२. यह विश्व की धुरी है जो विश्व का दिव्य मध्य है जहाँ धरती का स्वर्ग से मिलन होता है
१३. हर वर्ष तीर्थयात्री एक धार्मिक क्रिया के स्वरुप पैदल चल कर कैलाश पर्वत की तलहटी में प्रदक्षिणा करते हैं, जो क्षेत्र भाग में ५२ कि.मी. है, इसे “कैलाश परिक्रमा” के नाम से भी जाना जाता हैं
Magic of Chanting the Om Mantra - Benefits of Om Chanting
Let's have a look at the benefits of chanting the Om Mantra.
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